
दी ग्लोबल टाईम्स न्यूज़ /देहरादून : उत्तराखंड में राज्य चुनाव आयोग ने शनिवार को हरिद्वार को छोड़कर राज्य के 12 जिलों में पंचायत चुनाव कराने के संबंध में अधिसूचना जारी कर दी। उत्तराखंड राज्य चुनाव आयुक्त सुशील कुमार द्वारा हस्ताक्षरित यह अधिसूचना शुक्रवार को नैनीताल उच्च न्यायालय द्वारा पंचायत चुनाव प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दिए जाने के बाद आई है, जिसने 23 जून को जारी अपने स्थगन आदेश को हटा लिया था।
अधिसूचना के अनुसार, राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव दो चरणों में होंगे।
पहले चरण के तहत मतदान 24 जुलाई को होगा और दूसरे चरण के तहत मतदान 28 जुलाई को होगा। मतों की गिनती 31 जुलाई को होगी। पंचायत चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की तिथि 2 जुलाई से 5 जुलाई तक निर्धारित की गई है। नामांकन पत्रों की जांच 7 जुलाई से 9 जुलाई तक की जाएगी। नामांकन वापस लेने की तिथि 10 जुलाई से 11 जुलाई तक निर्धारित की गई है।
अधिसूचना में कहा गया है, “अतः, भारत के संविधान के अनुच्छेद 243-के में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, मैं, सुशील कुमार, राज्य चुनाव आयुक्त, उत्तराखंड, निर्देश देता हूं कि उत्तराखंड राज्य के 12 (बारह) जिलों (हरिद्वार जिले को छोड़कर) के सभी ग्राम पंचायतों के सदस्यों, ग्राम पंचायतों के प्रधानों, क्षेत्र पंचायतों के सदस्यों और जिला पंचायतों के सदस्यों के चुनाव कराए जाएंगे।”
शुक्रवार को नैनीताल हाईकोर्ट में सरकार की ओर से प्रस्तुत आरक्षण रोस्टर व अन्य दस्तावेजों पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने पंचायत चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ाने पर सहमति जता दी। गौरतलब है कि 21 जून को पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद 23 जून को हाईकोर्ट ने चुनाव पर रोक लगाकर सरकार को बड़ा झटका दिया था और आरक्षण समेत कई बिंदुओं पर सरकार से जवाब मांगा था।
बहरहाल, उत्तराखंड में बहुप्रतीक्षित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर शुक्रवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को अंतरिम राहत देते हुए पंचायत चुनाव कराने की इजाजत दे दी है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि पंचायत चुनाव के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है और कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया है। वहीं याचिकाकर्ताओं ने कुछ तकनीकी और संवैधानिक मुद्दे भी उठाए।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने फिलहाल चुनाव पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और स्पष्ट किया कि चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है।