दी ग्लोबल टाइम्स न्यूज़/ देहरादून
अल्मोड़ा : महामहिम राज्यपाल उत्तराखंड लेफ्टिनेंट जनरल (से. नि.) गुरमीत सिंह ने आज परिवार सहित काकड़ीघाट स्थित कार्कटेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना कर देश एवं प्रदेश वासियों की सुख समृद्धि की कामना की। राज्यपाल ने यहां स्थित ज्ञान वृक्ष को जलाभिषेक किया तथा ध्यान कक्ष में ध्यान भी लगाया।
काकड़ीघाट पहुंचने पर जिलाधिकारी विनीत तोमर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देवेंद्र पींचा सहित अन्य अधिकारियों एवं क्षेत्रवासियों ने राज्यपाल का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। तत्पश्चात उन्होंने कार्कटेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना की। इसके बाद उन्होंने ज्ञान वृक्ष (पीपल) का जलाभिषेक कर काकड़ी घाट के बारे में विभिन्न जानकारियां प्राप्त की । राम कृष्ण मिशन अल्मोड़ा के ध्रुवेशानंद महाराज ने उन्हें इस स्थान का महत्व बताया तथा कहा कि स्वामी विवेकानन्दजी ने अपनी परिव्राजक यात्रा के दौरान 21 अगस्त 1890 ई० को काकड़ीघाट में रात्रिवास किया था। यहाँ इस पीपल वृक्ष के नीचे जो बाद में ज्ञानवृक्ष के नाम से जाना गया, ध्यान करते हुए उन्हें एक दुर्लभ आध्यात्मिक अनुभूति हुई थी। अपने साथी और गुरुभाई स्वामी अखण्डानन्दजी के सामने इस अनुभूति का वर्णन करतें हुए उन्होने कहा था।
“अभी अभी मैं अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण क्षण से गुजरा हूँ। इस पीपल वृक्ष के नीचे मेरे जीवन की एक महान समस्या का समाधान हो गया है। मैंने सूक्ष्म-ब्रह्माण्ड और वृहत-ब्रह्माण्ड
के एकत्व का अनुभव किया है। जो कुछ ब्रह्माण्ड में है, वही इस शरीर रूपी पिण्ड में भी है। मैंने सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को एक परमाणु के अंदर देखा है।”
यहाँ उसी मूल स्थान पर किया गया है
इस दौरान राज्यपाल गुरमीत सिंह ने कहा कि हर जगह की अपनी एक अलग पहचान है। यहां आकर स्वामी विवेकानन्द जी ने ध्यान लगाया था। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि उस वक्त जिस पेड़ के नीचे उन्होंने ध्यान लगाया था उसको हमने वैज्ञानिक तरीके से पुर्नजीवित किया है। उन्होंने कहा कि आज हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती जल संरक्षण की है। कोसी नदी हमारे लिए पूज्यनीय है, जल एवं वृक्षों का संरक्षण करना सबसे बड़ी बात है। देवभूमि के हर व्यक्ति की आत्मा में वृक्ष, जल एवं जंगल के प्रति आदर एवं विशेष लगाव है।
उन्होंने कहा कि आज ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तापमान में वृद्धि हो रही है। जंगलों की आग भी एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि हर उत्तराखण्डी की जिम्मेदारी है कि वह इसका समाधान निकालें। जंगलो को आग से बचाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों को इसका विश्लेषण करना होगा इसके साथ ही हर उत्तराखंडी, हर ग्रामवासी एवं हर महिला के ऊपर यह जिम्मेदारी है कि हमें इसका तोड़ ढूंढना होगा। हमें इस प्रकार से मित्र बनाने पड़ेंगे जो आग लगने की सूचना तत्काल वन विभाग को दें, जिससे समय रहते जंगल को आग से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि जंगलों की आग पूरी दुनिया के लिए चुनौती है। उत्तराखण्ड में जो इसका समाधान निकलेगा वह पूरी दुनिया को रोशनी देगा। उन्होंने कहा यहां आकर स्वामी विवेकानन्द की जो सोच-विचार और धारणा है उसे जानने का मौका मिला।
इस दौरान कुलपति एसएसजे विवि सतपाल सिंह बिष्ट, अपर जिलाधिकारी सीएस मर्तोलिया, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रानीखेत वरुणा अग्रवाल, पुलिस उपाधीक्षक विमल प्रसाद,
मंदिर समिति के अध्यक्ष हरीश चंद्र परिहार, कोषाध्यक्ष गोपाल सिंह सहित मंदिर समिति के अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।
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