
दी ग्लोबल टाईम्स न्यूज़ /नैनीताल : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को नैनीताल जिले के हल्द्वानी में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की। उपराष्ट्रपति राज्य के तीन दिवसीय दौरे पर थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उन्हें राज्य के स्थानीय उत्पाद भी भेंट किये।
इससे पहले, नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में 156वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए धनखड़ ने छात्रों से व्यक्तिगत सफलता से परे लक्ष्य निर्धारित करने और राष्ट्र और समाज के लिए खुद को समर्पित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “कोई संकीर्ण या स्व-केंद्रित लक्ष्य न रखें, समाज के लिए, मानवता के लिए, राष्ट्र के लिए लक्ष्य रखें।”
उन्होंने युवाओं से “राष्ट्र सदैव प्रथम” की भावना अपनाने तथा बिना शर्त राष्ट्रवाद की भावना को बनाए रखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत जैसे 5,000 वर्ष पुरानी सभ्यता वाले देश के नागरिकों से न्यूनतम यही अपेक्षा की जाती है।
उन्होंने कहा, “आपको यह भावना अपनानी होगी कि राष्ट्र सदैव प्रथम है। हमें बिना किसी शर्त और बिना किसी प्रतिबंध के राष्ट्रवाद को अपनाना होगा, क्योंकि 5,000 वर्षों की सभ्यतागत गहराई वाले अद्वितीय राष्ट्र भारत को न्यूनतम इसी की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुंच और सामर्थ्य किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए बुनियादी आवश्यकताएं हैं।
उन्होंने कहा, “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, इसकी सुलभता और वहनीयता किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए मूलभूत आवश्यकताएं हैं। शिक्षा ईश्वर का उपहार है। यदि आपको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है, तो आप भाग्यशाली हैं। यदि आपको 1.4 बिलियन की आबादी वाले देश में इस तरह की शिक्षा मिलती है, तो आप सही मायनों में विशेषाधिकार प्राप्त हैं। शिक्षा एक महान समानता लाने वाली चीज है। कानून में या अन्यथा समानता को केवल शिक्षा के माध्यम से ही अधिकतम और सर्वोत्तम तरीके से सुनिश्चित किया जा सकता है। शिक्षा असमानताओं और अन्याय पर बहुत कठोर प्रहार करती है, और यही वह काम है जो आप अपने पूरे जीवन में करते रहेंगे।”
धनखड़ ने अभिभावकों से यह भी आग्रह किया कि वे अपनी महत्वाकांक्षाएं अपने बच्चों पर न थोपें। उन्होंने आगाह किया कि इस तरह का दबाव विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार में देश के भविष्य को सीमित कर सकता है।
उन्होंने कहा, “माता-पिता बनना न केवल आपके बच्चों के प्रति बल्कि पूरी मानवता के प्रति आपका सबसे महत्वपूर्ण दायित्व है। और इसलिए, कृपया अपने बच्चों पर दबाव न डालें। यह तय न करें कि उनके जीवन का उद्देश्य क्या है। अगर आप तय कर लेंगे, तो वे सभी पैसे और सत्ता की तलाश में लग जाएंगे। हमारे पास वैज्ञानिक कहां होंगे? हमारे पास खगोलशास्त्री कहां होंगे? हमारे पास ऐसे लोग कहां होंगे जो पूरी दुनिया की नियति तय करते हैं?”
उन्होंने कहा कि भारत अब केवल संभावनाओं वाला देश नहीं रह गया है, बल्कि यह लगातार आगे बढ़ रहा है तथा पिछले दशक में बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
उन्होंने छात्रों से इस गति को आगे बढ़ाने का आग्रह किया और कहा कि विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य, ‘विकसित भारत’, केवल एक सपना नहीं बल्कि एक मंजिल है।