
दी ग्लोबल टाईम्स न्यूज़ /देहरादून : कोटद्वार की एक अदालत द्वारा 19 वर्षीय अंकिता भंडारी की हत्या के दोषी तीन लोगों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद, उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दीपम सेठ ने परिणाम के लिए त्वरित पुलिस कार्रवाई और गहन जांच को श्रेय दिया।
डीजीपी सेठ ने एएनआई को दिए एक विशेष साक्षात्कार में बताया, “जब यह घटना हुई, तो पुलिस की तत्काल कार्रवाई के कारण 24 घंटे के भीतर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।”
डीजीपी ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों पर राज्य पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की।
डीजीपी ने कहा, “स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार एक एसआईटी गठित की गई और डीआईजी रैंक की एक महिला अधिकारी को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया गया।” डीजीपी दीपम सेठ ने जांच प्रक्रिया का विवरण देते हुए कहा, “सभी साक्ष्य एकत्र किए गए और उचित एवं गहन जांच के बाद 500 पृष्ठों की एफआईआर दर्ज की गई।” मुकदमा फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया गया।
डीजीपी ने कहा, “यह सजा दोषियों को उनके जीवन के अंत तक जेल में रखेगी।” उन्होंने इस फैसले को कानून के शासन को कमजोर करने का प्रयास करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक कड़ा संदेश बताया।
इस बीच, तीनों लोगों को सितंबर 2022 में अंकिता भंडारी को ऋषिकेश के पास एक नहर में धकेलने का दोषी पाया गया। इस मामले से पूरे उत्तराखंड में व्यापक आक्रोश फैल गया और पीड़िता के लिए न्याय की मांग को लेकर राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए।
आपको बता दें की अंकिता भंडारी का शव 24 सितंबर को ऋषिकेश में चिल्ला नहर से बरामद किया गया था। अधिकारियों को उसका शव मिलने से कम से कम छह दिन पहले उसे लापता बताया गया था। पुलिस उप महानिरीक्षक पी रेणुका देवी की अध्यक्षता वाली एसआईटी शुरू में मामले की जांच कर रही थी। मामले की पहली सुनवाई 30 जनवरी 2023 को कोटद्वार की एडीजे कोर्ट में शुरू हुई। एसआईटी की जांच के बाद 500 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में पेश की गई। इसके बाद तीनों आरोपियों के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए गए।
करीब दो साल आठ महीने चली सुनवाई में अभियोजन पक्ष की ओर से विवेचक समेत 47 गवाहों की कोर्ट में पेशी हुई। हालांकि, एसआईटी ने इस मामले में 97 गवाह बनाए थे, जिनमें से सिर्फ 47 अहम गवाह ही कोर्ट में पेश किए गए।