दी ग्लोबल टाइम्स न्यूज़
देहरादून : विश्व बौद्धिक संपदा दिवस प्रतिवर्ष 26 अप्रैल को मनाया जाता है। उल्लेखनीय है कि 9 अगस्त 1999 को, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) ने “विश्व बौद्धिक संपदा दिवस” को अपनाने का प्रस्ताव रखा। जबकि अक्टूबर 1999 में, डब्ल्यूआईपीओ की महासभा ने एक विशेष दिन को विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के रूप में घोषित करने के विचार को मंजूरी दी, जो कि 26 अप्रैल है। तभी से विश्व बौद्धिक संपदा दिवस प्रतिवर्ष 26 अप्रैल को मनाया जाता है।
*क्या है बौद्धिक संपदा*
किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा सृजित कोई संगीत, साहित्यिक कृति, कला, खोज, प्रतीक, नाम, चित्र, डिजाइन, कापीराइट, ट्रेडमार्क, पेटेन्ट आदि को बौद्धिक संपदा कहते हैं। क्योंकि जिस प्रकार कोई किसी भौतिक यानी फिजिकल प्रापर्टी का स्वामी होता है, उसी प्रकार कोई बौद्धिक सम्पदा का भी स्वामी हो सकता है।
इसलिये बौद्धिक सम्पदा अधिकार प्रदान किये जाते हैं। आप अपने बौद्धिक सम्पदा के उपयोग का नियंत्रण कर सकते हैं और उसका उपयोग करके किसी भी भौतिक सम्पदा को प्राप्त कर सकते हैं।
भारत विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है, जिससे वह बौद्धिक संपदा के व्यापार संबंधी पहलुओं पर समझौते (ट्रिप्स समझौते) के लिये प्रतिबद्ध है। भारत विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) का भी सदस्य है, जो कि पूरे विश्व में बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये उत्तरदायी निकाय है। राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति 2016 को मई 2016 में देश में IPR के भविष्य के विकास को निर्देशित करने के लिये एक विज़न दस्तावेज़ के रूप में अपनाया गया था, जिसका आदर्श वाक्य है “सृजनात्मक भारत; नवाचारी इंडिया।”
बौद्धिक संपदा कानून रचनात्मक प्रयास या व्यावसायिक प्रतिष्ठा और सद्भावना से जुड़े कानूनी अधिकारों से संबंधित है।
*बौद्धिक संपदा अधिकार की आवश्यकता क्यों*
बौद्धिक संपदा अधिकारों और कर्तव्यों का निर्माण करती है। बौद्धिक संपदा के संबंध में कानून के विकास का कारण यह है कि जो व्यक्ति कोई कार्य करता है या उसके पास एक अच्छा विचार है जिसे वह विकसित करता है, उसे नैतिकता और इनाम की अवधारणा के आधार पर, इसके उपयोग और शोषण को नियंत्रित करने का अधिकार है, और दूसरे को उसके प्रयासों का अनुचित लाभ उठाने से रोकें।
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