
दी ग्लोबल टाईम्स न्यूज़ /नई दिल्ली : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में भाग लिया और राज्य में जल निकासी और लिफ्ट सिंचाई के मुद्दों को उठाया। आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य में तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण शहरी जल निकासी की समस्या एक गंभीर चुनौती बन गई है। उन्होंने अनुरोध किया कि इस समस्या के समाधान हेतु एक स्थायी शहरी जल निकासी प्रणाली विकसित करने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर एक विशेष योजना तैयार की जाए।
मुख्यमंत्री ने यह भी अनुरोध किया कि लिफ्ट सिंचाई को “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना” के दिशा-निर्देशों में शामिल किया जाए। सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों के कारण वर्तमान में पर्वतीय क्षेत्र का लगभग 10 प्रतिशत भाग ही सिंचित है। उन्होंने बताया कि राज्य में ‘‘नदी जोड़ो परियोजना’’ के तहत ग्लेशियर से निकलने वाली नदियों को बरसाती नदियों से जोड़कर तथा चेकडैम एवं छोटे जलाशयों का निर्माण कर वर्षा जल संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड 2026 में प्रसिद्ध “माँ नंदा राज जात यात्रा” जिसे पर्वतीय महाकुंभ के नाम से भी जाना जाता है, तथा 2027 में हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन करेगा। उन्होंने इन आयोजनों को “भव्य और दिव्य” बनाने के लिए समर्थन मांगा और विकसित भारत के निर्माण में जनसांख्यिकीय लाभांश के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि सीमित समय सीमा के भीतर इस लाभांश का दोहन करना आवश्यक है तथा राज्य को इस लाभ से पूर्ण रूप से लाभान्वित करने के लिए आने वाले दस वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य में विभिन्न स्तरों पर स्वरोजगार को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि यद्यपि प्राथमिक क्षेत्र उत्तराखंड के सकल घरेलू उत्पाद में केवल 9.3 प्रतिशत का योगदान देता है, लेकिन लगभग 45 प्रतिशत आबादी इसमें लगी हुई है। इस मुद्दे को संबोधित करते हुए, राज्य ने किसानों को कम मूल्य वाली कृषि से उच्च मूल्य वाली कृषि की ओर स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु विभिन्न परियोजनाएं शुरू की हैं, जिनमें सेब मिशन, कीवी मिशन, ड्रैगन फ्रूट मिशन, बाजरा मिशन और सुगंधित खेती को बढ़ावा देना शामिल है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के गतिशील नेतृत्व में भारत 2047 तक विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस मिशन में उत्तराखंड सरकार भी सुदृढ़ वित्तीय प्रबंधन और राजकोषीय अनुशासन बनाए रखते हुए पूरी दृढ़ता के साथ काम कर रही है। पिछले तीन वर्षों में राज्य की अर्थव्यवस्था में लगभग 1.5 गुना वृद्धि हुई है। नीति आयोग द्वारा जारी 2023-24 एसडीजी रैंकिंग में उत्तराखंड ने पहला स्थान प्राप्त किया, तथा इस वर्ष प्रकाशित केयर रेटिंग रिपोर्ट में भी राज्य को शासन और वित्तीय प्रबंधन में छोटे राज्यों में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ।
प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) कानून लागू किया गया है। पिछले साढ़े तीन वर्षों में राज्य में 23,000 से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन प्रधानमंत्री के नेट जीरो विजन के अनुरूप “ग्रीन गेम्स” थीम पर किया गया था। इन खेलों में इलेक्ट्रॉनिक कचरे को रिसाइकिल करके करीब 4,000 पदक तैयार किए गए और सभी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया गया। इस आयोजन में करीब 4,000 से 5,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को सफलतापूर्वक रोका गया।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में शीतकालीन पर्यटन पहल की सफलता से राज्य के पर्यटन क्षेत्र को काफी लाभ हुआ है, विशेषकर प्रधानमंत्री की हर्षिल और मुखबा यात्रा के बाद। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में साहसिक पर्यटन, इको-पर्यटन और उच्च स्तरीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक नीति बनाई गई है और इसे जमीनी स्तर पर क्रियान्वित किया गया है।
उत्तराखंड नवाचार और प्रौद्योगिकी पर आधारित सतत और समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य ने अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के बीच बेहतर संतुलन हासिल करने में मदद के लिए सकल घरेलू उत्पाद के समान सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक (जीईपी) जारी करने की पहल की है। राज्य में जल्द ही भूतापीय ऊर्जा नीति लागू की जाएगी। मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना भी शुरू की गई है, जिसके तहत लाभार्थियों को प्रति माह एक लाख रुपये से अधिक की आय होगी।