
दी ग्लोबल टाईम्स न्यूज़ /देहरादून : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालयन कल्चरल सेंटर, देहरादून में आयोजित “आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान कार्यक्रम” में भाग लिया। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आपातकाल का काल भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में अंकित रहेगा।
लोकतंत्र सेनानियों को श्रद्धांजलि देते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “आज हमें लोकतंत्र की रक्षा करने वाले महान नायकों को सम्मानित करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। आपातकाल का काल भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में अंकित रहेगा। यह निर्णय हमेशा की तरह देश को अपनी जागीर समझने वाले एक परिवार की हठधर्मिता और तानाशाही रवैये का परिणाम था।”
इस अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री धामी ने नरेंद्र कुमार मित्तल, रणजीत सिंह जुयाल समेत 10 लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव का उत्तराखण्ड आगमन पर स्वागत करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार के सहयोग से राज्य के वन संबंधी मामलों का त्वरित गति से समाधान किया जा रहा है। उत्तराखण्ड को केन्द्र सरकार से हर सम्भव सहयोग एवं मदद प्राथमिकता के आधार पर मिल रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपातकाल के दौरान भारतीय संसद को बंधक बना लिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता पर सेंसरशिप लगा दी गई, न्यायपालिका की गरिमा को तार-तार कर दिया गया तथा करोड़ों देशवासियों के मौलिक अधिकारों का हनन किया गया।
सीएम धामी ने कहा, “आपातकाल के उन काले दिनों में सत्ता के नशे में चूर तत्कालीन सरकार ने सभी विपक्षी नेताओं, सैकड़ों पत्रकारों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए उठने वाली हर आवाज को बेरहमी से दबा दिया था। अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलकर पूरे देश को खुली जेल में बदल दिया गया था।”
सीएम धामी ने कहा, “लोकतंत्र के उन रक्षकों को नमन, जिन्होंने जेल की कोठरियों को अपनी तपस्थली बनाया और लोकतंत्र के दीप को बुझने नहीं दिया। उस समय तानाशाही सरकार के आपातकाल लगाने के फैसले के खिलाफ लोकनायक जयप्रकाश नारायण, श्रद्धेय नानाजी देशमुख, श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी, श्रद्धेय लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडिस और चंद्रशेखर जी जैसे असंख्य लोकतंत्र सेनानियों ने आंदोलन को दिशा देने का काम किया। जेल की चारदीवारी में बंद रहते हुए भी इन नेताओं ने युवाओं में लोकतंत्र की चेतना जगाने का काम किया।”
उन्होंने कहा, “उस समय आदरणीय अटल जी ने अनेक कविताओं के माध्यम से युवाओं को प्रेरित करने का काम किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और जनसंघ समेत अनेक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों ने भी तानाशाही सरकार के दमन के खिलाफ पूरी ताकत से लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए आंदोलन चलाया। इस आंदोलन को देशभर के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के छात्रों का भी भरपूर समर्थन मिला और धीरे-धीरे यह आंदोलन एक देशव्यापी जनक्रांति में बदल गया।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की पावन धरती पर ऐसे अनेक सपूत पैदा हुए, जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए अदम्य साहस का परिचय देते हुए उस जनक्रांति में अग्रणी भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा, “बागेश्वर के श्री चंद्र सिंह राठौर जी ने शिक्षक रहते हुए छात्रों में लोकतंत्र के प्रति आस्था जगाने का काम किया, जिसके लिए उन्हें अनेक यातनाएं झेलनी पड़ीं, यहां तक कि उन्हें अपनी नौकरी भी गंवानी पड़ी, जिसे वे 32 वर्षों के संघर्ष के बाद वापस पा सके। पौड़ी के गोविंद राम ढिंग को भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े होने के कारण जबरन जेल में डाल दिया गया था। उत्तराखंड के हर जिले में ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं, जिन्होंने लोकतंत्र की बहाली में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं आपातकाल के दौरान भूमिगत रहकर लोकतंत्र की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभा रहे थे।
उन्होंने कहा, “यही कारण है कि उन्होंने 25 जून को “संविधान हत्या दिवस” के रूप में मनाना शुरू किया ताकि आने वाली पीढ़ी को लोकतंत्र सेनानियों के योगदान और आपातकाल के काले अध्याय से अवगत कराया जा सके। आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने आपातकाल की घटनाओं का उल्लेख करते हुए 1978 में “संघर्षमा गुजरात” नामक एक पुस्तक भी लिखी थी। कल ही गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकाल के दौरान अपने संघर्ष पर प्रधानमंत्री द्वारा लिखी गई एक नई पुस्तक “द इमरजेंसी डायरीज़” का विमोचन भी किया। मुझे विश्वास है कि इस पुस्तक और संविधान हत्या दिवस के माध्यम से भारत की नई पीढ़ी भी जान सकेगी कि किस तरह आपातकाल के दौरान संविधान को रौंदा गया और लोकतंत्र की आत्मा को बेरहमी से कुचला गया।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व और मार्गदर्शन में राज्य सरकार स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। उन्होंने कहा, “हमारी युवा पीढ़ी को आपातकाल के खिलाफ इस महान आंदोलन के बारे में जागरूक करने के लिए राज्य भर में विभिन्न प्रदर्शनियों का आयोजन भी किया जा रहा है।”