
दी ग्लोबल टाईम्स न्यूज़ /देहरादून
11 अप्रैल, देहरादून। यूं तो समाज में प्रेम प्रसंग के मामले अक्सर सुनाई पड़ते हैं लेकिन उनमें से कुछ मामले ऐसे इतर निकल आते है जो सामाजिक व्यव्स्था को दर किनार कर चिंतनीय हो जाते है। ऐसा ही एक प्रेम प्रसंग देहरादून में सामने आया है। जहां एक विवाहित महिला और एक विवाहित पुरुष अपनी शिकायत दर्ज करवाने उत्तराखंड राज्य महिला आयोग पहुंचे।
मामले के अनुसार दून की एक महिला ने राज्य महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। उसका कहना है कि एक दूसरी स्त्री ने उसके पति को बहला-फुसलाया और दूसरी स्त्री के बहकावे में आकर उसके पति उस स्त्री के साथ चले गए हैं। महिला ने आयोग में पति को तलाशने की गुहार लगाई है।
वहीं दूसरी शिकायत में एक पुरुष का कहना है कि एक व्यक्ति उसकी पत्नी को गुमराह करके अपने साथ ले गया है। इस मामले में पीड़ित पुरुष ने आयोग में दी अपनी शिकायत में कहा कि उसकी पत्नी पिछले कई दिनों से घर नहीं लौटी है। उसने फोन भी बंद किया हुआ है और किसी अन्य सिम या वाईफाई के माध्यम से व्हाट्सएप ऑन किया हुआ है।
जब उसकी पत्नी को व्हाट्सएप पर कॉल किया जा रहा है तो उक्त पुरुष फोन रिसीव कर रहा है।
महिला के दो छोटे बच्चे और पुरुष के तीन बच्चे है
दर्ज शिकायत के अनुसार फरार महिला और पुरुष ने लिव इन में रहना शुरू कर दिया है लेकिन किस स्थान पर इस बात का शिकायतकर्ताओं को पता नही है वहीं इस मामले में फरार महिला अपने दो बच्चों और पति को छोड़ गई है।
उस महिला के साथ लिव इन में चले गए पुरुष के भी तीन बच्चे हैं। इससे उनके परिवारों में हड़कंप मचा हुआ है। शिकायत में बच्चों के भरण-पोषण का मामला भी उठाया गया है। इस मामले में सम्बंधित थाने में भी लिखित शिकायत दर्ज करवाई गई है। उन्हें शक है कि फरार महिला-पुरुष चोरी छिपे कहीं लिव इन में रह रहे हैं, ऐसा परिजनों का आरोप है।
इस मामले पर जब ग्लोबल टाईम्स न्यूज़ ने उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल से बात की तो उनका कहना है कि दोनों पीड़ित परिवारों की ओर से संयुक्त प्रार्थना पत्र महिला आयोग को दिया गया है। दो परिवारों में इस प्रकार बिखराव का मामला अत्यंत गंभीर है, जिस पर संज्ञान लिया गया है तथा पुलिस को निर्देशित किया गया है कि उक्त फरार महिला व पुरुष को आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। अध्यक्ष कुसुम कंडवाल के मुताबिक आयोग ने पुलिस को दोनों को तलाश कर आयोग में पेश करने को कहा है। ताकि पीड़ित महिला को उसके बच्चों के लिए भरण पोषण तथा पीड़ित पुरुष को भविष्य के लिए उचित न्याय मिल सके।