18 October 2024

“टाटा भरोसे का दूसरा नाम” दिग्गज उद्योगपति रतन नवल टाटा को विनम्र श्रद्धांजलि,पढ़िए विशेष लेख

 

दी ग्लोबल टाईम्स न्यूज़/ देहरादून

भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज रतन नवल टाटा का 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित समाज के विभिन्न प्रमुख व्यक्तियों ने रतन टाटा के मृत्यु पर शोक व्यक्त किया है।

रतन टाटा ने “टाटा” को भरोसे का दूसरा नाम दिया। रतन टाटा न केवल एक सफल कारोबारी थे बल्कि बेहतरीन इंसान भी थे। बेहद अनुशासित और संतुलित व्यवहार वाले टाटा वह पहले उद्योगपति थे, जिन्होंने एक लाख में कार देने का संकल्प पूरा किया।

*रतन टाटा का युग (1991-2012)*
वर्तमान में टाटा समूह (2012-अब तक)
नाम रतन नवल टाटा
जन्म तिथि 28 दिसंबर 1937
जन्म स्थान बॉम्बे, बॉम्बे प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (वर्तमान मुंबई, महाराष्ट्र, भारत)
एल्मा मेटर कॉर्नेल विश्वविद्यालय (बी.आर्क)
व्यवसाय उद्योगपति, परोपकारी और निवेशक
पदवी टाटा संस और टाटा समूह के मानद अध्यक्ष
कार्यकाल (1991-2012) और (2016-2017)
पूर्ववर्ती जेआरडी टाटा
उत्तराधिकारी साइरस मिस्त्री (2012 -2016)
नटराजन चंद्रशेखरन (2017-वर्तमान)
माता-पिता नवल टाटा

● रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा समूह ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने कारोबार का विस्तार किया। उन्होंने कई वैश्विक कंपनियों का अधिग्रहण किया

● कोरस स्टील (2007) टाटा स्टील ने ब्रिटिश कंपनी कोरस का अधिग्रहण किया, जिससे यह दुनिया की सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनियों में से एक बन गई।

● जगुआर और लैंड रोवर (2008) टाटा मोटर्स ने जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण किया, जिससे यह वैश्विक ऑटोमोबाइल उद्योग में प्रमुख खिलाड़ी बन गई।

● टाटा नैनो रतन टाटा के कार्यकाल में, टाटा नैनो को लॉन्च किया गया, जो दुनिया की सबसे सस्ती कार के रूप में जानी जाती है।

● टी और कॉफी उद्योग में प्रवेश टाटा ने ब्रिटेन की प्रतिष्ठित टेटली टी और अमेरिका की ऐट ओ क्लॉक कॉफी का अधिग्रहण किया, जिससे टाटा ग्लोबल बेवरेजेस का जन्म हुआ।

*पुरस्कार*
1. पद्म भूषण (भारत सरकार का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान (2000)
2. ओरिएंटल रिपब्लिक ऑफ उरुग्वे का पदक (उरुग्वे सरकार (2004)
3. अंतर्राष्ट्रीय विशिष्ट उपलब्धि पुरस्कार (बीनाई बि रिथ इंटरनेशनल (2005)
4. महाराष्ट्र भूषण (2006)
5. लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस की मानद फैलोशिप (2007)
6. पद्म विभूषण (भारत सरकार का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान (2008)
7. असम बैभव (2021), पद्म विभूषण (2008)
8. इटालियन गणराज्य के ऑर्डर ऑफ मेरिट के ग्रैंड ऑफिसर का पुरस्कार (इटली सरकार (2009)
9. मानद नाइट कमांडर ऑ़फ द ऑर्डर ऑ़फ द ब्रिटिश एम्पायर, यूनाइटेड किंगडम (2009) की उपाधि से सम्मानित
10. ओस्लो बिजनेस फॉर पीस अवार्ड (बिजनेस फॉर पीस फाउंडेशन (2010)
11. ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर नाइट ग्रैंड क्रॉस (2014)

एन. चंद्रशेखरन 2017 में एन. चंद्रशेखरन को टाटा समूह का चेयरमैन नियुक्त किया गया। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने डिजिटल परिवर्तन, ई-कॉमर्स, और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निवेश किया है।

टाटा समूह ने बिगबास्केट में भी निवेश किया है।

*रतन टाटा के कहे गए वाक्य*
● हम लोग इंसान हैं कोई कंप्यूटर नहीं, जीवन का मजा लीजिए इसे हमेशा गंभीर मत बनाइए।

● जीवन में आगे बढ़ने के लिए उतार-चढ़ाव बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ईसीजी में एक सीधी रेखा का मतलब है कि हम जीवित नहीं हैं।

● हम सभी के पास समान प्रतिभा नहीं है, लेकिन हम सब के पास समान अवसर हैं अपनी प्रतिभा को विकसित करने के लिए।

● सत्ता और धन मेरे दो प्रमुख सिद्धांत नहीं हैं

● अगर आप तेज चलना चाहते हैं, तो अकेले चलिए, लेकिन अगर आप दूर तक जाना चाहते हैं, तो साथ-साथ चलें।

● अगर लोग आप पर पत्थर मारते हैं तो उन पत्थर का उपयोग अपना महल बनाने में कर लें।

● अच्छी पढ़ाई करने वाले और कड़ी मेहनत करने वाले अपने दोस्तों को कभी मत चिढ़ाओ। एक समय ऐसा आएगा कि तुम्हे उसके नीचे भी काम करना पढ़ सकता है।

● मैं सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करता। फैसला लेता हूं और फिर उसे सही सबित कर देता हूं।

● जिस दिन मैं उड़ान भरने में सक्षम नहीं हूं, वो मेरे लिए एक दुखद दिन होगा।

● टीवी का जीवन असली नहीं होता और जिंदगी टीवी सीरियल की तरह नहीं होती। असल जीवन में आराम नहीं होता, सिर्फ और सिर्फ काम होता है।

● अपना जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहता है, इसकी आदत डाल लो

*जीवनी*
रतन टाटा भारतीय उद्योगपति और टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष थे। 1991 से 2012 तक वे टाटा समूह के अध्यक्ष रहे और अक्तूबर 2016 से फरवरी 2017 तक अंतरिम अध्यक्ष बने। वे एक समर्पित परोपकारी व्यक्ति थे। बचपन से ही रतन टाटा ने अपने परिवार से व्यावसायिक मूल्य और नैतिकता का पाठ सीखा।

बचपन और प्रारंभिक जीवन रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को नवल टाटा और सोनू टाटा के घर हुआ था। उनके एक भाई जिमी और एक सौतेले भाई नोएल टाटा हैं। जब रतन टाटा 10 साल के थे, तब उनके माता-पिता अलग हो गए। दोनों भाइयों का पालन-पोषण उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया। उनकी शुरुआती स्कूली शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल और जॉन कॉनन स्कूल में हुई।

इसके बाद रतन टाटा ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, यूएसए से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के साथ आर्किटेक्चर में डिग्री प्राप्त की। 1975 में उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एक उन्नत प्रबंधन कार्यक्रम पूरा किया।

सबसे पहले फ्लोर पर किया काम रतन टाटा 1962 में टाटा संस में शामिल हो गए। जहां उन्होंने कर्मियों संग फ्लोर पर काम किया। यह एक कठिन और मुश्किल काम था, लेकिन उन्होंने पारिवारिक व्यवसाय के बारे में अनुभव और समझ हासिल की।

नेलको के प्रभारी निदेशक 1971 में रतन टाटा को नेलको (नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड) का प्रभारी निदेशक बनाया गया। कंपनी वित्तीय संकट से गुजर रही थी। रतन टाटा ने बेहतर उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स डिवीजन बनाने के लिए कड़ी मेहनत की, लेकिन आर्थिक मंदी और यूनियन के मुद्दों के कारण वे सफल नहीं हो पाए।

एम्प्रेस मिल्स में स्थानांतरण 1977 में रतन टाटा को एम्प्रेस मिल्स में स्थानांतरित कर दिया गया, जो टाटा समूह की एक और संघर्षरत इकाई थी। उन्होंने मिल के पुनरुद्धार के लिए एक योजना बनाई, लेकिन कंपनी के अन्य अधिकारियों ने इसे अस्वीकार कर दिया और मिल बंद कर दी गई। रतन टाटा को फिर से टाटा इंडस्ट्रीज में स्थानांतरित कर दिया गया।

टाटा समूह के अध्यक्ष 1991 में जेआरडी टाटा ने रतन टाटा को टाटा समूह का अध्यक्ष नियुक्त किया। उन्होंने संगठन की समग्र स्थिति में सफलतापूर्वक सुधार किया। दिसंबर 2012 में अपने 75वें जन्मदिन पर रतन टाटा ने टाटा समूह के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। शापूरजी पल्लोनजी समूह के प्रबंध निदेशक साइरस मिस्त्री टाटा समूह के नए अध्यक्ष बने।

प्रमुख सफलताएं टाटा समूह न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज तक पहुंचा। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह कोरस, जगुआर लैंड रोवर और टेटली जैसी कंपनियों के अधिग्रहण से वैश्विक ब्रांड बन गया। टाटा नैनो और टाटा इंडिका ऑटोमोबाइल की कल्पना और निर्माण उनके नेतृत्व में किया गया था।

नैनो कार का विचार एक किस्सा नैनो कार के निर्माण से जुड़ा है। उन्होंने नैनो कार का विचार तब उठाया जब उन्होंने मुंबई की सड़कों पर एक परिवार को स्कूटर पर यात्रा करते देखा। उन्होंने उस समय सोचा कि भारत में ऐसा वाहन होना चाहिए जो हर आम आदमी की पहुंच में हो, और इस तरह 1 लाख की नैनो कार का सपना साकार हुआ।

संवेदनशील और दयालु इंसान एक और किस्सा 9/11 के हमलों के बाद न्यूयॉर्क में टाटा समूह के कर्मियों के प्रति उनकी संवेदनशीलता से जुड़ा है। हमले के बाद अमेरिका में काम कर रहे भारतीयों को परेशानी हुई, तो रतन टाटा ने मदद के लिए हर संभव प्रयास किए। यह दिखाता है कि वे संवेदनशील और दयालु इंसान भी थे।

रतन टाटा की सादगी उनकी सादगी ने उन्हें उद्योग जगत में विशेष स्थान दिलाया है। उनका सेवा भाव इतना वृह्द है कि उन्होंने अपनी सम्पत्ति का 65 प्रतिशत से अधिक हिस्सा ट्रस्टों में दान किया है